1 July से IPC की जगह लेगा भारतीय न्याय संहिता BNS

1 जुलाई को भारतीय संविधान में थ्री न्यू क्रिमिनल लॉ भारत सरकार के द्वारा लागू किया गया है , इन कानूनों में अत्याधुनिकतम तकनीकों को शामिल किया गया है। अब से देश में lPC आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू किया गया , CRPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS ) का। और IEA आईईए की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) को जाना जाएगा। यही नहीं अब से अगर आपके साथ कुछ गलत हुआ है या आपके मौलिक अधिकार का हनन हुआ है तो बतौर पीड़ित आप पुलिस स्टेशन नहीं जाना चाहते तो आप घर बैठे ही एफआईआर (FIR) दर्ज करवा सकते हैं। इसमें पहली बार ई–एफआईआर प्रावधान किया गया है । जिसमे एसएमएस , ईमेल, या फिर पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट शामिल है जिसका आप इस्तेमाल कर सकते है और हफ्तेभर में फैसला ऑनलाइन के माध्यम से उपलब्ध करना जरूरी किया गया है।

तीन नए Criminal Law क्या है:–

1 जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम हैं। ये कानून क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनयम की जगह लेंगे। 12 दिसंबर, 2023 को इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा से ये पारित हुए। 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी। वहीं 24 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू में बदलाव:–

Criminal Law में नए बदलाव:–

1. नए कानून के मुताबिक, आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा. पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा।


2. बलात्कार पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी की ओर से पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे. मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए।


3. कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है , जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।


4.नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
नए कानून में अब उन मामलों के लिए सजा का प्रावधान शामिल है, जिसके तहत महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके या गुमराह करके छोड़ दिया जाता है।


5. इसके अलावा नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा. सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा।


6. आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार है।


7. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत समाप्त हो सकेगी , साथ ही व्यक्ति FIR को अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए भी दर्ज करा सकता है।


8.अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा।


9. लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है।

10. महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किए जाने का प्रावधान है।

11. डिजीटल धोखाधड़ी और डाटा चोरी के मामले में कड़ी रूप से प्रतिबंध लगाए गए है।

12. मामले की सुनवाई के निश्चित समय की सीमा तय की गई।

इसी तरह की जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए।

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